आयुर्वेद में त्रिदोष का महत्व

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कफ तथा पित्त नाशक आहार


 



हम कफ तथा पित्त नाशक आहार के बारे में बतायेंगे। आयुर्वेद में “त्रिदोष” का महत्त्व, इसके दोषों का शरीर पर प्रभाव, इन्हें संतुलित करने के उपाय तथा विभिन्न दोषों के अनुसार सही खानपान की अहमियत के बारे में हम बात करेंगे । आइये इसे संक्षिप्त में जान लेते है।*



🌺👉🏿आयुर्वेद के अनुसार प्रत्येक रोग तीन दोषों पर निर्भर है-वात, पित्त और कफ। यदि इनका अनुपात शरीर में ठीक हो तो मनुष्य स्वस्थ रहेगा, कोई रोग उसे नहीं होगा। परन्तु ऐसे लोग बहुत कम होते हैं। कोई न कोई वस्तु प्रत्येक मनुष्य में आवश्यकता से अधिक होती है मतलब असंतुलित होती है। यही रोगों का मूल कारण है। माता-पिता की प्रकृति और उनके रोगों का प्रभाव बच्चे पर जन्म से ही होता है। यदि गर्भिणी माता का पित्त  बढ़ा हुआ था तो बच्चे की जन्म से ही पित्त-प्रकृति होगी। यदि यह बच्चा किसी समय भी पित्त बढ़ाने वाली चीज को खायेगा तो उसे पित्त के रोग जरुर घेर लेंगे। इसी प्रकार यदि कोई बच्चा माँ से कफ प्रकृति लेकर जन्मा है तो जरा-सी कफ वृद्धि से वह रोगी हो जायेगा। जो खुराक स्वास्थ्य की दशा में मनुष्य खाता है वह सब प्रकार की होती है। एक वस्तु वात नाशक होती है, तो दूसरी पित्त वर्द्धक और तीसरी कफ नाशक और वात वर्द्धक। ऐसी खुराक जिसमें तीनों दोष बराबर हों, न कोई खाता है और न खा सकता है क्योंकि हर एक चीज तोलकर तो खाई नहीं जा सकती है । कभी उड़द की दाल अधिक खा ली तो कभी पेट में चना अधिक पहुँच गया। यदि रोटी से थक गये तो खिचड़ी खा ली।


🌺👉🏿साधारणतः हमारे भोजन में दाल, चावल और गेहूँ शामिल रहता हैं। चावल पित्त दोष नाशक है, गेहूँ वात नाशक है। मूंग कफ-पित नाशक पर वात बढ़ाने वाली है। इस प्रकार हर रोज ली जाने वाली खुराक एक नया प्रभाव शरीर पर करती है। एक दिन किसी चीज से वात बढ़ गया और दूसरे दिन, सम्भव है कि वात नाशक खुराक मिल गयी तो कुछ कष्ट नहीं होगा । इस प्रकार जो कुछ थोड़ी-सी हानि बिना जाने-बूझे हो गयी थी, वह स्वयं ही दूर हो गयी। मतलब यह है कि हमारा खाना ही हमारे अन्दर सभी रोग विकार उत्पन्न करता है। यदि इसका उपाय न किया जाये या इसकी रोकथाम का प्रबन्ध न किया जाये तो शरीर में नए नए रोग उभर कर सामने आते हैं।


*👩🏻👉🏿कफ नाशक आहार : कफ प्रकृतिवालों के लिए उत्तम आहार*



*🌺👉🏿कफ तथा पित्त नाशक आहार👈🏿* कफ अधिकतर कम आयु में, विशेषकर बच्चों में अधिक होता है। यह छाती, गले, फेफड़ों तथा जोड़ों में होता है। अत्यधिक मीठा, ठंडे पदार्थ तथा अधिक पोषक भोजन करने से कफ उत्तेजित तथा असंतुलित हो जाता है। जो लोग अपने आहार में वसा तथा चीनी अधिक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इस बारे में अत्यंत सचेत रहना चाहिए। नमक का अत्यधिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह शरीर में द्रव के संग्रह को प्रेरित करता है। संतुलित कफवाले व्यक्ति के लिए तो हलका आहार ही उत्तम है। लेकिन कफ असंतुलन में तीखा भोजन करना चाहिए, क्योंकि यह पाचन की रक्षा करता है। भूख से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पाचन-तंत्र कमजोर हो सकता है।


🌹1⃣👉🏿 हलके खाद्य पदार्थों के साथ नाश्ता
🌹2⃣👉🏿 हलकी पकाई गई सब्जियाँ
🌹3⃣👉🏿 मसालेदार भोजन पाचन को प्रेरित करते हैं, अतः हरी मिर्च, तिल, जीरा, मेथी तथा हलदी प्रयोग में लाएँ
🌹4⃣👉🏿 गरम और ताजा भोजन
🌹5⃣👉🏿 फलों में सेब
🌹6⃣👉🏿 खिचड़ी
🌹7⃣👉🏿 कड़वा, तीखा तथा सख्त सलाद
🌹8⃣👉🏿 सुबह हलका गरम नींबू-पानी
🌹9⃣👉🏿 अदरक की चाय
🌹🔟👉🏿 कच्चे फल
🌹1⃣1⃣👉🏿 कफ से पीडि़त व्यक्ति को गरम भोजन, गरम सेब  गरम भोजन से कफ कम हो जाता है।
🌹1⃣2⃣👉🏿 संतुलित कफवाले व्यक्तियों के लिए ग्रिल पर बना भोजन, उबला तथा सेंका भोजन अच्छा रहता है।पाचन ठीक रखने के लिए रात का भोजन शुरू करने से पहले तीखा भोजन लेना अच्छा है।


🌹1⃣3⃣👉🏿 अदरक की चाय या अदरक का रस चमत्कारिक है। धनिया की चाय भी उत्तम होती है, क्योंकि वह अपनी मूत्रवर्धक क्षमता के कारण कफ को कम करती है।


🌹1⃣4⃣👉🏿 कच्ची सब्जियाँ हरा धनिया, धनिया के बीज, कालीमिर्च तथा जीरा, सभी तीखे मसाले तथा जड़ी-बूटियाँ, कम नमक, अचार, सरसों, खट्टा सलाद, सिरका तथा छौंक कफ प्रकृतिवालों के लिए उत्तम हैं।


🌹1⃣5⃣👉🏿 सेब, सूखे मेवे, खुबानी, नाशपाती, केला, नारियल, खरबूज, नारंगी, पपीता, अनार, अंजीर, अनन्नास, आलूबुखारा, ताजा अंजीर, अंगूर मीठे तथा खट्टे फल ये सब कफ नाशक आहार है इनका सेवन करें।


🌹1⃣6⃣👈🏿 मलाई निकाला हुआ वसायुक्त दूध, समुद्री आहार तथा जौ, ज्वार, गेहूँ, चावल, जई ये सब कफ नाशक आहार है इनका सेवन करें।


🌹1⃣7⃣👉🏿 इसके अलावा शतावर, चुकंदर, अंकुरित सब्जियाँ, बंदगोभी, मिठाई, सब्जी का रस, टमाटर, ककड़ी तथा गाजर, फूलगोभी, बैंगन, लहसुन, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, प्याज, मटर, हरी मिर्च, आलू, मूली तथा शकरकंद ये सब कफ नाशक आहार है इनका सेवन करें।


🌹1⃣8⃣👉🏿 पाचन सुधारने के लिए अदरक का प्रयोग करें, परंतु नमकीन फलियाँ न खाएँ। वैसे सब प्रकार की फलियाँ, खासकर मोठ (किडनी बींस) कफवालों के लिए अच्छी होती हैं।


*👩🏻👉🏿कफ नाशक आहार सब्जियाँ तथा बीज➖👇🏾* 


🌹1⃣👉🏿 सूरजमुखी तथा कद्दू के बीज। इसके साथ-साथ सब्जियाँ, कच्चे फल तथा सलाद कफ के लिए अच्छे हैं।


🌹2⃣👉🏿 कफ असंतुलन में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा पके भोजन की सलाह दी जाती है। लेकिन तले हुए भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि यह शरीर में कफ की वृद्धि करता है।


*🌹3⃣👉🏿कफ नाशक तेल* कफ प्रकृति के लोगों के लिए मूँगफली, मक्का तथा सूरजमुखी का तेल अच्छा होता है। सब्जियों को उबालकर उसमें थोड़ा मक्खन मिलाने के बाद लेना चाहिए।


🌹4⃣👉🏿 बाजार में मिलने वाली खाने पीने की चीजें खाने से परहेज करना चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो दोपहर के भोजन में सब्जियाँ लेनी चाहिए। मांसाहारी भोजन से बचना चाहिए। पिए जाने वाले सभी प्रकार के पेय गरम होने चाहिए।


🌹5⃣👉🏿 कफ में वृद्धि से बचने के लिए दोपहर का भोजन करने से पहले उस पर कफ चूर्ण (त्रिकटु चूर्ण) छिड़क लेना चाहिए।


🌹6⃣👉🏿 ये सब कफ नाशक आहार सर्वोत्तम है, इसलिए कफ को संतुलित अवस्था में रखने के लिए इसका सेवन करना चाहिए। बंद नाक तथा आलसी और अधिक नींद वाले व्यक्तियों में यह आहार आश्चर्यजनक परिणाम दिखाता है                


विशाल मोड़